गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

राम भरोसे













मेरा देश है राम भरोसे
“वर्तमान ” और “भविष्य”
बात कर रहे थे एक दूसरे से …!


वर्तमान ,
सफलता की नई ऊंचाई पर खड़े हैं
जरा नीचे देखो,
बस नए रंग चढ़ गये हैं
तस्वीर अभी वही है गावों की
नीति बहुत बनी बदलने की
पर राम भरोसे


आजादी ६२ साल पहले मिली थी
आज भी भांषा और क्षेत्र के गुलाम हैं
थोडा बदलाव हुवा है ………!
तब विदेशी सीतम गिराते थे
अब अपने लोग…!

हम अपना घर उजाड़ कर,
दूसरों की महल पर ईंट रख रहें हैं!
“तुम ” चुप रहोआज के राजनेता हैं “हम”

देश ने सिख लिए हैं नए संस्कार
घर आये मेहमान की तरह होता है
आतंकियों का सेवा-सत्कार
जानते हो “आज”इन्हें सजा क्यों नहीं देता
डर है कही उसका “कल”न बिगड़ जाये …!



भविष्य,
बस करो वर्तमान …………बस
ऐसा न हो,
कहीं मेरे सवरने की अभीलाषा ही मर जाये …!
देख दशा देश की,मन मेरा मुझको कोसे
आखिर कब तक रहेगा……?
देश मेरा राम भरोसे ………………………………।!

बस एक बार कह दो ......














बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं
देखो यूँ ना समझो की आवारा हूँ मैं
बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं ………।

तुमको भी अहसास हो जायेगा अपनों का
एक मंजिल होगी जीने की एक शहर सपनो का
देखो कोई नहीं है हमारा इस नए शहर में
माना मैं एक आवारा हूँ तुम्हारी नजर में …
पर दोस्तों का दोस्त बेसहारों का सहारा हूँ मैं
बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं



हमने देखे है बहुत अपनाने वाले
यहाँ तो अपनों को भी ठुकरा देते है ज़माने वाले



बिन अपनों के इस जहाँ में जीना मुश्किल होता है
तुम सोचती हो ऐसा तो कोई अपनों के लिए क्यूँ रोता है?
एक अपना साथी जीवन का संगीत होता है
जो दे जीवनभर साथ वही सच्चा मित होता है
तेरे सपनो के सागर का किनारा हूँ मैं ………………
बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं…………………………।


माना दोगे एक नई पहचान पर जाने क्यों दिल यह डरता है
अपना कर भी अपनों को इन्सान भूलाया करता है
पर मन करता है दिल दे दू तुझे तुझको ही दे दू जान
दिखती है तुझमे मुझको एक सच्चे साथी की पहचान ……....!