शनिवार, 24 जुलाई 2010

"तारीफ़ आप की"


खुशनसीब  होतें हैं वो
खुदा जिन्हें खुबसूरत बनाता है
सवारता है फुरसत भरे लम्हों में
किसी के प्यार की मूरत बनाता है
उनमे से एक आप भी हैं!
    
सूरज सी लाली दमक रही हो
जिसकी झील सी आँखों तले
सुर्ख होंठो की मुस्कान ऐसी
देख जिसे  गुलाब भी जले  
उनके नाजुक पाँव पड़े जिस पथ
वो अपने पर इतराता है
उनमे से एक आप भी हैं

कोरे कंगना कवारे सवारे कलाई
जिसकी रूह की महक से
ये वादियाँ गुनगुनाई
घनेरी जुल्फों की लहर
जैसे गंगा की आरती
मदहोस फिजाये भी
जिसके रूप को सवारतीं
उनमे से एक आप भी हैं!

सच में,
खुशनसीब होतें हैं वो...........!