शनिवार, 14 मई 2011

हम कभी कभी कितने अकेले हो जाते हैं.......

सबसे पहले तो ब्लॉग से थोड़ी सी दुरी रखने के लिए माफ़ी चाहूँगा..आप सभी ब्लॉगर दोस्तों की बहुत याद आती है.हालाँकि मेरे ब्लॉग  को फालोव करने वाले देवी व सज्जन बहुत कम है..... पर पढ़ने वाले इतने सम्मानित लोग है की ... अपनी रचनाये उनके सामने प्रश्तुत  कर मुझे खुसी मिलती है ! ब्लॉग से थोडा सा   दूर   इसलिए हूँ की जून में मेरा सी .ए. का exam है... ! exam बाद फिर से आपलोगों के सामने हाज़िर होऊंगा ...आज   कोई  कविता या गजल नहीं एक  ताजी घटना है..!

परसों की बात  है मै कही  जा रहा था  अपनी bike  से की अचानक एक १२-१३ शाल का लड़का बिना साइड हाथ या इंडिकेटर जलाये ही मेरे सामने से ही मुड गया ... फिर क्या एक टक्कर और वो  सड़क  के   किनारे   गिरा में बिच सड़क पर  .... देखते ही   देखते  एक   स्वस्थ   शारीर   में 5 -6     पट्टिया और   डॉक्टर   की   जान   लेने   वाले injection से दो चार होना  पड़ा ...!  जहा  एक्सिडेंट    हुवा   कुछ  भाई  लोगो  ने  उठा  कर  रिक्से  पर  बिठाने   की औपचारिकता पूरी की ! में गुस्से में लाल हो गया लेकिन  उस बच्चे का मासूम  सा डरा हुवा चेहरा देख कर अपने आपको रोक लिया  अब  गुस्सा  आई  उसके  माँ बाप  पर जिन्होंने इस  छोटी सी  उम्र  में   ही उसे  bike  पकड़ा दी  और खुद  मोहल्ले वालो के सामने सीना तान कर  चलते होंगे, और ये बच्चे दूसरो के लिए मुसीबत खड़ा कर देते हैं ...अगर  वो  सामने  होते तो २-४ जूते तो  जमा  ही देता !  खैर  उन भैयो का सुक्रिया जिन्होंने   रिक्से  पर  बिठाया !   फिर  रिक्शेवाला  ही  बेचारा  मुझे  हॉस्पिटल  ले गया ,,  जब डॉक्टर ने सितम  गिराना सुरु किया तो  मुझे  जोर  जोर से मम्मी  की याद आने लगी .....! बचपन में में जब भी बीमार पड़ता था मम्मी ही मुझे डॉक्टर के पास ले जाती थी ... मम्मी के हाथ रखते ही डॉक्टर के injection  का दर्द गायब...! पर आज बहुत दर्द हो रहा था मम्मी नहीं थी न इस लिए. आज मम्मी गाँव  में है और मै शहर मे ... कहने को तो बहुत से लोग अपने है .. पर अपने नहीं!
सच मे हम कभी कभी कितने  अकेले हो जाते है न  ?