गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

बस एक बार कह दो ......














बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं
देखो यूँ ना समझो की आवारा हूँ मैं
बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं ………।

तुमको भी अहसास हो जायेगा अपनों का
एक मंजिल होगी जीने की एक शहर सपनो का
देखो कोई नहीं है हमारा इस नए शहर में
माना मैं एक आवारा हूँ तुम्हारी नजर में …
पर दोस्तों का दोस्त बेसहारों का सहारा हूँ मैं
बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं



हमने देखे है बहुत अपनाने वाले
यहाँ तो अपनों को भी ठुकरा देते है ज़माने वाले



बिन अपनों के इस जहाँ में जीना मुश्किल होता है
तुम सोचती हो ऐसा तो कोई अपनों के लिए क्यूँ रोता है?
एक अपना साथी जीवन का संगीत होता है
जो दे जीवनभर साथ वही सच्चा मित होता है
तेरे सपनो के सागर का किनारा हूँ मैं ………………
बस एक बार कह दो की तुम्हारा हूँ मैं…………………………।


माना दोगे एक नई पहचान पर जाने क्यों दिल यह डरता है
अपना कर भी अपनों को इन्सान भूलाया करता है
पर मन करता है दिल दे दू तुझे तुझको ही दे दू जान
दिखती है तुझमे मुझको एक सच्चे साथी की पहचान ……....!

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