मंगलवार, 28 जून 2011

आप तो ऐसे ना थे....

                                  


                                   इस नफरत  की दुनिया में,  कौन अपना   कौन  बेगाना  है ?  
                          जब खुदा ने तोडा है भरोसा मेरा , फिर  किसे  आजमाना है   

                          अब    वो   चेहरा   घुमाकर    गुजर   जाते    हैं     बगल   से 
                          कहते     थे     जो  ,   ये      दिल     आपका      दीवाना      है  

                          ये फूल  कलियाँ वो  चाँद सितारे, बैठते थे आकार पास हमारे 
                          अब   ये   भी  उखड़े - उखड़े   हैं,   बेरंग   सारा   जमाना   है  !

                          क्यों   सजा    रखे   हो   दर्दो   की   दुकान   मेरे     रकीबो ?
                          बाहें    खुली    है  शाकी    की ,  और  सामने   मयखाना   है !

                          मोहब्बत   जताना  , दो  पल  हँसा  कर  उम्र भर  रुलाना 
                          मत  पूछ   मेरे   महबूब   का  ये  अंदाज  बहुत पुराना  है!

                          इरादा तो  उनका पहले से था,   आइना  तोड़ने  का  रवि 
                          ओह!   हाथ  से   छुट   गया ,  ये    तो   एक    बहाना   है !
 
 
 





52 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया.....कुछ वर्तनी की अशुद्धियां हैं टाइप करते वक्त रह जाती हैं ठीक कर लीजिएगा....
    आप भी आइए....

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  2. Blog agman ke liye aur gazal pashand karne ke liye ... abhar anamika ji.

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  3. बहुत बढ़िया लिखा है मित्र


    सादर

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  4. मोहब्बत जताना ,दो पल हँसा कर उम्र भर रुलाना
    मत पूछ मेरे महबूब का ये अंदाज बहुत पुराना है!
    वाह बहुत शिद्दत से से आपने अपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्त किया है ....ग़ज़ल का हर शेर लाजबाब है .....मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार

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  5. Thanx Kewal bhaiya..
    apke yaha pakar hame khusi hui...!
    bas apna ashirvad banaye rakhiye.

    Abhar

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  6. ravi ji
    bahut hi behreen gazal .
    lagta har panktiyan dil ki gali se nikal hi padi hain .
    मोहब्बत जताना ,दो पल हँसा कर उम्र भर रुलाना
    मत पूछ मेरे महबूब का ये अंदाज बहुत पुराना है!
    bas ---WAH-WAH-- karne ko dil karta hai .
    bahut bahut badhai
    poonam

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  7. Apka bahut - bahut sukriya is WAH--WAH ke liye.

    sach pahichana apne poonam ji,

    ye kalam mere dil ki galiyo se hi hokar gujari hain...!

    apka abhar

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  8. मोहब्बत जताना ,दो पल हँसा कर उम्र भर रुलाना
    मत पूछ मेरे महबूब का ये अंदाज बहुत पुराना है!

    वाह...... बहुत अच्छा लिखते हैं आप... पूरी रचना शानदार है .....मेरे ब्लॉग पर आकर उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत - बहुत आभार......

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  9. क्यों सजा रखे हो दर्दो की दुकान मेरे रकीबो ?
    बाहें खुली है शाकी की, और सामने मयखाना है !


    खूबसूरत गज़ल .....

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  10. अब वो चेहरा घुमाकर गुजर जाते हैं बगल से
    कहते थे जो , ये दिल आपका दीवाना है... bahut hi badhiyaa .

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  11. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  12. अब वो चेहरा घुमाकर गुजर जाते हैं बगल से
    कहते थे जो , ये दिल आपका दीवाना है...

    वाह ... बहुत खूब कहा है ..

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  13. Apka bahut-2 Abhar Nootan ji..
    Gazal pashand karne ke liye aur blogg follow karne ke liye.


    Abhar

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  14. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन..... शुभकामनायें ।

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  15.  अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  16. Bade Bhaiya Baskar ji..
    Sabse pahle ap apne swasth ka pura khayal rakhen.
    comments to bad me bhi diye ja sakte hain..!
    in sab ke bich bhi waqt nikal kar ap blogg par aye.. iske liye bahut-2 Abhar

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  17. रवि जी...अच्छी गज़ल है ..दूसरा शेर मुझे बहुत अच्छा लगा...साथ ही साथ सच्चा लगा

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  18. Ji sukriya Nidhi ji...!
    apne sher ki panktiyo ko bahichana..!
    Hame khusi hui...!

    Abhar

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  19. दिल की बिसात क्या थी,निगाहेजमाल में
    आईना था टूट गया ,देख-भाल में

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  20. इरादा तो उनका पहले से था, आइना तोड़ने का रवि
    ओह! हाथ से छुट गया , ये तो एक बहाना है !
    bahut khub
    rachana

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  21. waah... bahut hi umda gazal...
    saare sher apne aap mei behtareen... par aakhiriwala to bas... waaaah...

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  22. Bahut-2 Sukriya POOJA ji
    Sach puchhiye to akhiri line mujhe bhi behad pashand hi.

    Ap ne gazal ke bhawo ko samjha mera likhna safal huwa.

    Abhar

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  23. बहुत बढ़िया रवि....वर्तनी पर जरा ध्यान दो...जैसे भरोषा = भरोसा...आदि. शुभकामनाएँ.

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  24. रवि मेरे ब्लांग में आने के लिए धन्यवाद.तुम्हें भी जन्मदिन की बधाई..गजल बहुत प्यारी है...

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  25. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  26. Abhar
    Bhaskar bhaiya..!
    dubara agman ke liye.....
    abhi apse durbhasha par hui bat-chit se bahut khusi mili.

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  27. "सपनों की शाम" नहीं होती दोस्त ये प्यार भी एक बार नहीं, बार बार होता है -
    तू है हरजाई तो अपना भी यही दौर सही ,
    तू नहीं और सही और नहीं, और सही .
    प्रकृति का मानवीकरण करती बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने हुज़ूर ,जुग जुग जियो -बस वर्तनी पर तवज्जो दो .
    http://sb.samwaad.com/

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  28. फूल ,दूकान ,साकी ,छूट /छुट ,कृपया शुद्ध रूप मीटर के मुताबिक़ लिख लें .प्यार ,इतना च्छा लिखते हो .बधाई .

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  29. फूल ,दूकान ,साकी ,छूट /छुट ,कृपया शुद्ध रूप मीटर के मुताबिक़ लिख लें .प्यार ,इतनाअच्छा लिखते हो .बधाई

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  30. Abhar Sir ji,
    Ye sach hi ki sapno ki kabhi sham nahi hoti..!!
    par ham apni har sham sapno me jeete hain..!

    bas itna sa matlab hi blogg shirshak ka,,,!!!

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  31. Bas u hin... sikhate rahiye sir ji...
    kux tiping & kux dhyan na ane se rah jati hain.

    ham inhe sudharge...!

    Abhar..!!

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  32. kya kahu mere pass sabad nahi hai,

    irada to unka pehle se hi tha, aaina todne ka ravi,
    oh hath se chut gaya, ye to ek bahana hai...

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